College hindi story - 05

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क्लासरूम-04

क्लासरूम-05
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कहानी अब तक -
अब तक आपने पडा की किस प्रकार हमने b.sc. के tution स्टार्ट किये और कब कब किये और उन tution के बैच की टाईमिंग क्या थी !!

अब आगे लाईव-
आप सभी को जिस एपिसोड का सबसे ज्यादा इंतजार था वो इंतजार अब खत्म हो गया है एपिसोड आपके सामने पेश है . . . . .

कोलेज का पहला दिन
18 जुलाई का दिन था , हम सभी दोस्तो ने लगभग 11 बजे के आस- पास कोलेज के अंदर प्रवेश किया !
किसी महापुरुष ने हमसे कहा था की -
college life is the best life.
तो कोलेज मे अंदर प्रवेश करने के बाद से ही वो पंक्ती याद आने लगी की ईस दौसा की कोलेज के अंदर हमारी कोलेज लाईफ़ बेस्ट लाईफ़ कैसे होगी !!!

खैर हम पहुँच गये सीधे science block मे . . .
वहाँ एक मैडम खडी थी . . .
उन मैडम का नाम था प्रोफ़ेसर स्नेहा मैडम जी
मैडम जी ने हमे b.sc. 1st ईअर की classes के टाइम टेबल और chemistry के syllabus के बारे मे बडे अच्छे से समझाया . . . .

इसके बाद चूँकि मैथ्स की क्लास 12 बजे से थी तो हमने थोडा पार्क मे घूमना उचित समझा . . .
पार्क मे फीजिक्स लैब के सामने
जो कि कुछ ही दूरी पर थी,उलझी  हुई बालों के साथ सुलझी हुई अंजान सी लड़की बिल्कुल हमारे पास से गुजरी।
माथे पर हल्की सिकन के साथ टीका और चेहरे पर बेखौफ अंजान सी मुस्कान लिए हुए राय साहब(एक खास दोस्त का परिवर्तित नाम )के पास से चंद सेकेण्ड पहले गुजरी थी ।
जब वो राय साहब के पास से गुजरी तो उसका दुपट्टा राय साहब की घडी को टच कर गया था मै सोच रहा था काश ये दूपट्टा राय साहब की घडी मे अटक जाये . . . .
लेकिन आप सब भी जानते हो दुपट्टा का घडी मे अटक जाना ये सब फ़िल्मी बाते है ! क्युंकी टी.वी मे दूपट्टा हमेशा रोलेक्स घडी मे ही फँसता है !


उसे देखने के बाद राय साब (परिवर्तित नाम) अपने दोस्तों के हुड़द से बाहर आ गया था।
न जाने क्यों उसे अपने प्राइवेट स्कूल मे boys सेक्शन में पढ़े होने का पहली बार गम नहीं खुशी थी।
उसके अंदर अस्पष्ट सी खुशी थी, जो उसे उस अंजान लड़की के रहने पे मिल रही थी। तभी अचानक से बिड़ला साहब (परिवर्तित नाम) और शुक्ला साहब (परिवर्तित नाम) की सम्मिलित आवाज ने उसे वापस हुड़द में शामिल होने को मजबूर कर दिया,


जो उसे किसी टूटते तारे के सामान प्रतीत हो रहा था ,क्योंकि यह  जवानी के आसमान में गोता लगाते हुए राय साहब के लिए पहला चांद था जिसने उसे स्थिर कर दिया था।
माथे पर टीका ,चेहरे पर मुस्कान , घुँघराले और गूँथे हुए बाल जिसे शायद उसने कभी सीधा करने का भी प्रयास नहीं किया था, उस पर फबता था। अपनी मुस्कान में अपनी समस्या को छिपा लेने की कला उसे बाखूबी आता था।


प्यार टेढ़ा होता हैं लेकिन दुनिया में सबसे ज्यादा खुशी न जाने इसी में क्यों होता हैं जो आज तक बचपन से लेकर ब12th तक दोस्तों के साथ मिलकर मजा लेने के दौरान राय साहब ये भूल गया था जो आज पहली बार उस अंजान सी लड़की की वजह से पता चल रहा था।


वास्तव में वो उस समय को कभी न खत्म होने वाला मौका बना लेना चाहता था।
राय साहब पहली बार किसी से इसलिए नहीं मिलना चाहता था कि वह उसकी मोहब्बत थी (पहली नजर का पहला प्यार ) बल्कि इसलिए क्योंकि वह उसकी जिद थी और शायद कमजोरी ।


वैसे चाहे जो भी हो लेकिन कुछ दिन वो गूँथे हुए बालों वाली लड़की की याद के साथ जीना चाहता था ।और शायद उसके वश में होता तो उसके साथ जीता।
उसके मन मे एक ही बात चल रही थी . . . . . .
" सुन साहिबा सुन ,
               मैने तुझे,!
   चुन लिया है ,
              तू भी मुझे चुन !!


#अगला_एपिसोड_कल_रात_9_बजे_प्रसारित_किया_जायेगा
इस एपिसोड को लाईक करे और कहानी कैसी लगी कमेंट बौक्स मे जरुर बताये !

#एपिसोड_06
वो लडकी और उसकी यादें

कपिल

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